जानुबस्ति का समावेश आयुर्वेद पंचकर्म अंतर्गत बाह्य स्नेहन एव स्निग्ध स्वेदन में होता है I
जानुबस्ति का प्रयोग ख़ास दौर पे संधिवात (Osteo-Arthritis) में किया जाता है I जानुबस्ति के प्रयोग से घुटनो का दर्द कम होता है साथ साथ दर्दी की चलने की क्षमता भी बढ़ती है I
जानुबस्ति का समावेश पंचकर्म अंतर्गत बाह्य स्नेहनएवं स्निग्ध स्वेदन में किया जाता है
जानुबस्ति में जानु शब्द का अर्थ “घुटन” होता हैऔर बस्ति चिकित्सा आयुर्वेद में वात सबंधित विकारो में उपयोगी होती है I जानुबस्ति चिकित्सा घुंटनो के दर्द में ख़ास करके की जाती है I जानुबस्ति में दशमुलतैल, महानारायण तैल , निर्गुन्डी तैल, सहचर तैल, बलातैलजैसे वातनाशक तैलो का उपयोग किया जाता है
जानु बस्ति के लाभ
- घुटनेकेजोड़ोंमेंदर्दवअकड़कमकरताहै I
- जोड़ोंकोचिकनापनदेकरगतिशीलताबढ़ाताहै I
- घुटनेकीतकलीफोंकोठीककरनेमेंसहायकहै I
- ऑस्टियोऑर्थराइटिस, सूजनऔरस्नायुसंबंधीविकारोंमेंलाभपहुँचाताहै I
- जोड़ोंकोपोषणऔरमजबूतीप्रदानकरताहै I
- पंचकर्मपद्धतियोंकोहमेशाआयुर्वेदविशेषज्ञकेदेखरेखमेंहीलेनाचाहिए।
जानुबस्तिकी सारवार नेत्र चिकित्सा आयुर्वेद हॉस्पिटल में उपलब्ध है I