यह एक रोग है। गुदा द्वार [Rectum] पर एक प्रकार की फोड़ा से पैदा होकर यह गुदा द्वार के अन्दर तथा बाहर नली के रूप में घाव [Blind and open ulcers] पैदा करता है इन्गिलिश भाषा [English] मे इसे फिस्चुला [Fistula] कहते हैं। यह फोड़ा कुछ दिनों में फूट जाता है और उसमें से मवाद तथा दूषित रक्त निकलने लगता है। यह फोड़ा कभी-कभी बहुत चौड़ा तथा गहरा होता है। इस फोड़े के कारण रोगी व्यक्ति को गुदाद्वार के पास बहुत तेज दर्द होता है I मलमार्ग भग बस्ती आदि स्थानों पर होने वाली यह व्याधी काफी पीड़ा दायक होती है I भगन्दर की यह व्याधी के कई प्रकार आयुर्वेदीय संहिताओं में बताये गए है I
भगन्दर के लक्षण :
कई दिनों से गुदा के आस-पास दर्द और सूजन का कम न होना I
पख़ाना से बदबूदार pus या ख़ून का निकलना I
उठते, बैठते, या खांसते समय गुदा में दर्द होना I
मलनाली पर संयम न रख पाना (bowel incontinence) I
भगन्दर का इलाज :
आयुर्वेद में भगन्दर के इलाज के लिए क्षारसूत्र का विधान है जिसका परिणाम बहुत अच्छा है I
क्षारसूत्र एक मेडिकेटे थ्रेड होता है आयुर्वे की कई औषधियों के योग से इस क्षारसूत्र का निर्माण किया जाता है I